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रविवार, 26 दिसंबर 2010

chikungunia

दोस्तों नमस्कार,
  बहूत दिनों से सोच रहा था की इस चिकुनगुनिया के अनुभव के बारे मैं लिखू पर अभी तक मुझे ब्लॉग
बनाना ही नहीं आता था !आज थोड़ी कोशिश की तो बन ही गया! दोस्तों मुझे   नहीं पता की आप मे से कितने लोग इस शाही बीमारी के बारे  जानते हैं! जहा तक मेरा  खुद का अनुभव है उसमे आप सब को शामिल करना चाहता हूँ !...आज से करीब तीन महीने पहले ३ अक्टूबर को मुझे  हल्का सा बुखार हुआ आप सोच रहे होंगे की  सही तारीख कैसे याद है दरअसल उस दिन भारत के इतिहास मे एक बहूत बड़ी  घटना की शुरुआत हुई थी जिसने हम लोगो की मेहनत की कमाई मे से ७०००० हज़ार करोड़ गायब कर कुछ मोटे पेट वालो के पेट मैं डाल दिए थे.....इस दिन को कोई कैसे भूल सकता है भाई... कुछ तो हमारी जेब से भी गया है!
  मुझे  लगता है की मैं असली विषय से भटक रहो हूँ बात चिकुनगुनिया की हो रही थी  दोस्तों जब बुखार हुआ तो सोचा 
भी ना था की यह बुखार जीवन मे बहूत सौ अनुभव करा जायेगा !
  बुखार तो जीवन मे बहूत बार हुआ पर यह बुखार जो जो चीजें  अपने साथ लाया उनको शायद इस जनम मे भूलना नामुमकिन सा लगता है! बुखार महाशय तो ४ दिन मे चलते बने पर छोड़ गए ऐसी तड़प की आज तक तड़प रहे है !सबसे पहले शुरू हुआ पैरो की एड़ियो मे असहनीय दर्द !पैर एक जगह स्य दूसरी जगह रखना ऐसे लगता था जैसे अंगद के पैर को उठाना!इस हालत मे चलना तो दूर पैर को उठाया भी न जाता था बस बिस्तर ही अच्छा लगता था वो भी कराहते हुए! 
   एड़ियो से चला तो घुटनों को भी ले डूबा !घुटनों के बाद बारी आयी कमर की और उसके बाद पसलिया और फी कंधे अपना रंग दिखाने लगे ! हल्का फुल्का चलने मे १५ दिन लग गए !
अब जब थोडा बहूत चलने लगे तो सोचा  की चलो उब कुछ काम धंधा किया जाये  और दुनिया का हाल भी देखा जाये! निकले घर से  लंगड़ाते हुए तो देखा की सड़क  पर हर पांचवा आदमी हमारी तरह ही चल रहा है !अब तो लगने लगा हम तो बहूत अछे है !इनका तो बहूत बुरा हाल है!
  जैसे तैसे अपनी दुकान तक पहुंचे सब लोग हाल पूछ रहे थे और कई अपना रोना रो रहे थे!आप यकीं करना दोस्तों आज यह लोग जो अपना दुःख बयाँ कर रहे थे ऐसे लग रहे थे जैसे वो सभी मेरे अपने ही भाई हैं!उनके दुःख सुन कर बहूत ही दिल हल्का हो रहा था!लग रहा थाई की वोह अपना नहीं बल्कि मेरा हाल बयाँ कर रहे हैं!आज ३ महीने होने को हैं वोह सभी लोग आज भी मिलते हैं और एक दूसरे को दिलासा दे रहे हैं!
   अब दोस्तों बताता हूँ की इस चिकुनगुनिया ने मुजहे क्या सिखाया .....आज मेरे बाज़ार की जमादारनी मेरे पास आ कर बैठती  है और मुझे इन दर्दो से बचने  के कई नुस्खे बता कर जाती है क्योंकि वो बेचारी भी इसी नामुराद से पीड़ित है!
 आज मैं अपने उन दोस्तों और रिश्तेदारो के घर मैं भी रात गुजर सकता हूँ जहाँ मैं इस लिए रात नहीं रुकता था की उनके घर मैं देसी toilet systum नहीं है!चलो जीवन मे कुछ तो अंग्रेज हुए !चिकुनगुनिया का धन्यवाद .....
 अब मेरे  दोस्त मुझे सुबह उठ कर eccersise की हिदायत नहीं देते क्योंकि सब मेरे जैसे ही हैं .....
 ७०००० करोड़ मे जो कुछ मेरा हिस्सा था उसमे से कुछ तो वापिस पाया... ना ये बीमारी होती ना घर बैठते ...न कामवेल्थ गेम देखते.....अभी हाल मैं ही एक सुन्दर सी महिला अपने मोहल्ले मे शिफ्ट हुई थी बहूत दिन से इच्छा थी की इनसे कम से राम राम तो हो जाए ...चिकनगुनिया की मेहरबानी से उनसे राम राम भी शुरू है.....!एक दिन किसी पडोस मे एक साथ सीढिया चदते जब उन्हे लंगड़ाते सीढ़ी चढते देखा तो रहा नहीं गया पूछ ही बैठे ....जवाब मिला क्या बताये जवानी मे बूढे हो गए है भाई साहिब ....भाई साहिब ही सही बात तो चली ...अब तो जहाँ मिलते है पूछ ही लेते है चिकुनगुनिया के बारे मैं....
  अब तो कभी लगता है की इन चिकुनगुनिया के मारो की एक उनिओन बनाऊ और खुद नेता बन जाऊ....कम से कम नगर निगम का चुनाव तो जीत ही जाऊंगा....
 कभी कभी ख्याल आता है की रविश को लिखू की एक "रविश की रिपोर्ट "इन चिकुनगुनिया के मारो पर भी बना डालो १०० लोगो के intervew मैं करवा ही दूंगा...दोस्तों अगर आप की कोई उससे जान पहचान हो तो जरूर बताईयेगा ....
  बस दोस्तों आपसे गुजारिश है की दुआ करो हमारे लिए डाक्टरों ने तो हाथ खडे कर दिए है ....भाई हाथ तो हम भी खडे कर सकते है पर पैन्किल्लर खा कर.... 
" चिकुनगुनिया दे मारे असी की करिए  चिकुनगुनिया ते किस दा जोर है "